डॉ सम्पूर्णानन्द जी का जीवन - परिचय - हिन्दी में | Dr Sampoorna Nand Biography Hindi Me | Sampoorna Nand Jeewan Parichay Hindi Me
डॉ सम्पूर्णानन्द
जन्म सन् - 1890 मृत्यु सन् - 1969
पिता का नाम - विजयानन्द
माता का नाम - आनन्दी देवी
जन्म - स्थान - उत्तर प्रदेश (काशी)
पिता का नाम - विजयानन्द
माता का नाम - आनन्दी देवी
जन्म - स्थान - उत्तर प्रदेश (काशी)
सम्पूर्णानन्द जी का जीवन - परिचय विस्तार से पढ़ें -
डॉ सम्पूर्णानन्द जी का जन्म 1 जनवरी , 1890 ई० को उत्तर प्रदेश के काशी में हुआ था |
ये एक सम्भ्रान्त कायस्थ परिवार से थे |
इनके पिता का नाम मुंशी विजयानन्द और माता का नाम आनन्दी देवी था |
इन्होंने बी०एस-सी० की परीक्षा क्वींस कॉलेज , वाराणसी से उत्तीर्ण की करने के बाद ट्रेनिंग कॉलेज , इलाहाबाद से एल० टी० किया और एक अध्यापक के रूप में प्रेम महाविद्यालय , वृंदावन में इनकी नियुक्ति हुई |
कुछ दिन बाद बीकानेर के डँगूर कॉलेज में प्रिंसपल के पद पर इनकी नियुक्ति हुई |
'मर्यादा' , टुड़े पत्रिकाओं का सम्पादन भी इसी समय किया |
इन्होंने राष्ट्रीय स्वतन्त्रता संग्राम में प्रथम पंक्ति के सेनानी के रूप में कार्य किया |
कांग्रेस के टिकट पर सन् 1936 में विधान सभा के सदस्य चुने गये |
सन् 1937 में शिक्षामन्त्री के रूप में नियुक्त हुऐ |
और सन् 1955 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने |
सन् 1962 में राजस्थान के राज्यपाल के रूप में इनकी नियुक्ति हुई |
राज्यपाल पद से मुक्त होने पर सन् 1967 में काशी लौट आये और अन्तिम सांस तक काशी विद्यापीठ के कुलपति पद पर रहे |
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10 जनवरी , 1969 को काशी में यह साहित्यकार दुनिया को अलविदा कह गया |
डॉ सम्पूर्णानन्द जी मर्मज्ञ साहित्यकार होने के साथ-साथ प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री और कुशल राजनीतिज्ञ भी थे |
सम्पूर्णानन्द जी का संस्कृत , अंग्रेजी और हिन्दी तीनों भाषाओं पर समान अधिकार था | ये फारसी और उर्दू के भी ज्ञाता थे | इन्होंने ज्योतिष , इतिहास एवं राजनीति का अध्ययन किया | योग , विज्ञान एवं दर्शन सम्पूर्णानन्द जी का पसन्दीदा विषय था |
विषय प्रतिपादन की दृष्टि से इनकी शैली के तीन रूप हैं 1- विचारात्मक 2- व्याख्यात्मक 3- ओजपूर्ण |
इन्हें 'साहित्य - वाचस्पति' की उपाधि भी मिली | 'समाजवाद' कृति के लिए इन्हें 'मंगलाप्रसाद पारितोषिक' प्राप्त हुआ |
ये काशी नागरी प्रचारिणी सभा के अध्यक्ष एवं सरंक्षक भी रहे |
सम्पूर्णानन्द जी का संस्कृत , अंग्रेजी और हिन्दी तीनों भाषाओं पर समान अधिकार था | ये फारसी और उर्दू के भी ज्ञाता थे | इन्होंने ज्योतिष , इतिहास एवं राजनीति का अध्ययन किया | योग , विज्ञान एवं दर्शन सम्पूर्णानन्द जी का पसन्दीदा विषय था |
विषय प्रतिपादन की दृष्टि से इनकी शैली के तीन रूप हैं 1- विचारात्मक 2- व्याख्यात्मक 3- ओजपूर्ण |
इन्हें 'साहित्य - वाचस्पति' की उपाधि भी मिली | 'समाजवाद' कृति के लिए इन्हें 'मंगलाप्रसाद पारितोषिक' प्राप्त हुआ |
ये काशी नागरी प्रचारिणी सभा के अध्यक्ष एवं सरंक्षक भी रहे |
वास्तव में सम्पूर्णानन्द जी बहुत अच्छे साहित्यकार एवं
राजनीतिज्ञ थे इनका योगदान स्मरणीय रहेगा |
डॉ सम्पूर्णानन्द जी आज भले ही हमारे बीच में न हो लेकिन वे राजनीति एवं साहित्य की दुनिया में हमेशा अमर रहेंगे |
साहित्य , राजनीति , इतिहास , दर्शन एवं अन्य विषयों पर सम्पूर्णानन्द जी द्वारा लिखी गयी प्रसिद्ध कृति -
समाजवाद , ब्राह्मण सावधान , ज्योतिर्विनोद , पृथ्वी से सप्तर्षि मण्डल , हिन्दू देव परिवार का विकास , वेदार्थ प्रवेशिका , चीन की राज्यक्रान्ति , अन्तरिक्ष यात्रा , गणेश , आर्यो का आदिदेश , व्रात्यकाण्ड , चिद्विलास , जीवन और दर्शन , स्फुट विचार , अधूरी क्रान्ति , भारतीय सृष्टि क्रम विचार , अधूरी क्रान्ति , सम्राट अशोक , सम्राट हर्षवर्धन , महादजी सिन्धिया , चेतसिंह , महात्मा गाँधी , देशबन्धु चितरंजनदास इत्यादि|
तो आपने डॉ संपूर्णानंद की जीवनी (Dr. Sampurnanand Biography) पढ़ ली है , अगर आपको कुछ कमी लगे तो कमेंट करें , हम आर्टिकल अपडेट कर देंगे।
मै ब्राह्मण सावधान पुस्तक के मिलने का स्थान जानना चाहता हूं ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी जानकारी मिली
जवाब देंहटाएंThanks
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