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दीपक दीया तेल भरि, बाती दई अघट्ट संदर्भ , प्रसंग सहित व्याख्या । Deepak Diya Tel Bhar । Sakhi । Kabeer Ke Dohe Class 11 Up Board Solutions

प्रस्तुत पद्यांश "दीपक दीया तेल भरि‘" का संदर्भ , प्रसंग , व्याख्या , काव्य सौंदर्य तथा शब्दार्थ इस आर्टिकल में लिखा गया है। जो की कबीरदास जी की रचना है , ये छात्रों के लिए काफी मददगार होने वाला है। खास बात यह है कि अगर आप यूपी बोर्ड के 11वीं में हो तो हिंदी के "काव्य" पाठ 1 में "साखी" शीर्षक से है।
आपको दूढ़ने में दिक्कत ना हो इसलिए हर एक "दोहे" का आर्टिकल अलग - लिखा गया है। (यह आर्टिकल आप Gupshup News वेबसाइट पर पढ़ रहे हो जिसे लिखा है, अवनीश कुमार मिश्रा ने, ये ही इस वेबसाइट के ऑनर हैं)

                             दोहा

दीपक दीया तेल भरि, बाती दई अघट्ट।
पूरा किया बिसाहुणाँ, बहुरि न आवौं हट्ट॥

सन्दर्भ - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के "काव्य खंड" में ‘साखी’ शीर्षक से उद्धृत है, जो साखी ग्रंथ से लिया गया है। जिसके रचयिता कबीरदास जी हैं।

प्रसंग - प्रस्तुत दोहे में कबीरदास जी ने भक्ति पर बल देते हुए कहा कि इस योनि में भक्ति कर लेने से जीवन - मरण चक्र से मुक्ति मिल जाएगी।

व्याख्या - प्रस्तुत पंक्ति में कबीरदास जी कहते हैं कि सतगुरु ने साधक को ज्ञान रूपी दीपक देकर उसमे भक्ति रूपी तेल भर दिया है। 
कबीर फिर से आगे कहते हैं कि साधक ने अपना सारा खरीद - फरोख्त कर लिया है तो अब इस बाजार में फिर से लौटकर नहीं आयेगा। अर्थात इस माया में नहीं पड़ेगा। कबीर ने बाजार इस संसार को कहा है।
भाव यह है की साधक ने ज्ञानरूपी दीपक प्राप्त कर लिया है। जिसकी बाती कभी खत्म नहीं होने वाली है। अर्थात भक्ति रूपी बाती कभी भी ख़त्म नहीं होगी। अब जब सारा ज्ञान मिल ही गया है तो कौन फिर से बाजार (संसार) में आना चाहेगा। मतलब जिसने बाजार से संपूर्ण सौदा खरीद लिया हो, वह फिर से बाजार में नहीं आना चाहेगा।
कबीर ने इस दोहे में जीवन मरण चक्र के विषय में कहा है कि जिसने इस जन्म में भक्ति कर ली है उसे जीवन मरण चक्र से मुक्ति मिल जाएगी। उसे फिर से इस संसार में नहीं आना पड़ेगा। और जिसने भक्ति नहीं की है उसे फिर से आना पड़ेगा यहां। कबीर को पुनर्जन्म में विश्वास था तो इसीलिए वे सतगुरु की भक्ति पर बल देते थे की अगर इसी योनि में भक्ति न कर लिया गया तो फिर जीवन - मरण चक्र में आना पड़ेगा। और अगर कर लिया तो मुक्ति मिल जाएगी।

कठिन शब्दों के अर्थ -

दीपक - ज्ञान की ज्योति
दीया - दीपक
तेल भरि - दीपक में तेल भरा
बाती दई अघट्ट- कभी ना घटने वाली बाती
पूरा किया - पूर्ण किया
बिसाहूणाँ - खरीद फरोख्त, क्रय विक्रय, व्यापार
बहुरि न आँवौं - दुबारा नहीं आना
हट्ट - बाजार, हाट

Keywords -

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सदगुरु द्वारा दिए गए दीपक में किस प्रकार का तेल भरा है
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