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मार्च, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

रामधारी सिंह दिनकर जी का जीवन - परिचय - हिन्दी में । Ramdhari Singh Dinkar Ka Jeevan Parichay । Gupshup News

             रामधारी सिंह 'दिनकर' जन्म सन् - 1908             मृत्यु सन् - 1974 पिता का नाम - श्री रवि सिंह माता का नाम - श्रीमती मनरूप देवी जन्म - स्थान - बिहार के मुंगेर जिला के सिमरिया ग्राम रामधारी सिंह 'दिनकर' जी जीवन - परिचय विस्तार से पढ़ें - रामधारी सिंह 'दिनकर' जी का जन्म 30 सितम्बर , सन् 1908 ई० को सिमरिया गांव में हुआ था , जो कि बिहार के मुँगेर जिले में है | इनके माताजी का नाम श्रीमती मनरूप देवी तथा पिताजी का नाम श्री रवि सिंह था | इन्हें पिताजी का प्यार नहीं मिल सका क्योंकि जब 'दिनकर' जी सिर्फ दो वर्ष के थे तभी इनके पिताजी का निधन हो गया | गाँव के स्कूल में ही आरम्भिक पढ़ाई की , मैट्रिक की परीक्षा रेलवे के स्कूल में पास की और सर्वाधिक अंक हिन्दी में प्राप्त किये | सन् 1932 में पटना कॉलेज से बी०ए० किया .और एक स्कूल में अध्यापक के पद पर नियुक्त हुये | इस पद को छोड़कर सन् 1934 में सब - रजिस्टार बन गये | ये राजकीय प्रचार विभाग में आ गये , उस समय अंग्रेजों के विरुद्ध कोई कुछ नहीं कह सकता था फिर भी 'दिनकर' जी ने क्रान्ति जग

डॉ सम्पूर्णानन्द जी का जीवन - परिचय - हिन्दी में | Dr Sampoorna Nand Biography Hindi Me | Sampoorna Nand Jeewan Parichay Hindi Me

                    डॉ सम्पूर्णानन्द जन्म सन् - 1890             मृत्यु सन् - 1969 पिता का नाम - विजयानन्द माता का नाम - आनन्दी देवी जन्म - स्थान - उत्तर प्रदेश (काशी) सम्पूर्णानन्द जी का जीवन - परिचय विस्तार से पढ़ें - डॉ सम्पूर्णानन्द जी का जन्म 1 जनवरी , 189 0 ई० को उत्तर प्रदेश के काशी में हुआ था | ये एक सम्भ्रान्त कायस्थ परिवार से थे | इनके पिता का नाम मुंशी विजयानन्द और माता का नाम आनन्दी देवी था | इन्होंने बी०एस-सी० की परीक्षा क्वींस कॉलेज , वाराणसी से उत्तीर्ण की करने के बाद ट्रेनिंग कॉलेज , इलाहाबाद से एल० टी० किया और एक अध्यापक के रूप में प्रेम महाविद्यालय , वृंदावन में इनकी नियुक्ति हुई | कुछ दिन बाद बीकानेर के डँगूर कॉलेज में प्रिंसपल के पद पर इनकी नियुक्ति हुई | महात्मा गाँधी के राष्ट्रीय आन्दोलन से प्रेरित होकर सन् 1921 में ये काशी लौट आये और 'ज्ञानमण्डल' में काम करने लगे | 'मर्यादा' , टुड़े पत्रिकाओं का सम्पादन भी इसी समय किया | इन्होंने राष्ट्रीय स्वतन्त्रता संग्राम में प्रथम पंक्ति के सेनानी के रूप में कार्य किया | कांग्र

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी का जीवन - परिचय - हिन्दी में

             राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जन्म सन् - 1886 ई           मृत्यु सन् - 1964 पिता का नाम - रामचरण गुप्त माता का नाम - काशीबाई जन्म स्थान - उत्तर प्रदेश जिला झांसी (चिरगांव) मैथिलीशरण गुप्त जी का जीवन - परिचय विस्तार से पढ़ें - राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी का जन्म उत्तर प्रदेश राज्य के जिला झाँसी के चिरगांव नामक गांव में संवत् 1943वि० (सन् 1886ई०) को हुआ था | इनके पिता का नाम सेठ रामचरण गुप्त था | रामचरण जी स्वयं एक अच्छे कवि थे | इसलिए अपने पिता का पूर्ण प्रभाव मैथिलीशरण गुप्त जी पर पड़ा | इन्होंने बचपन में ही छप्पय की रचना कर अपने पिता को चकित कर दिया  | इनकी माता का नाम  'काशीबाई' था | बचपन में गुप्त जी को अंग्रेजी पढ़ने के लिए झाँसी भेजा गया लेकिन वहाँ इनका मन न लग सका ; इसलिए इनकी शिक्षा - दीक्षा का प्रबन्ध घर पर ही किया गया , घर पर ही रहते हुए गुप्त जी ने अंग्रेजी , हिन्दी , संस्कृत का गहन अध्ययन किया |  पहले इनकी रचनाऐं 'वैश्योपकारक' नामक पत्र में छपती थी , जो कि कलकत्ता से प्रकाशित होती थी | गुप्त जी द्विवेदी जी को अपना गुरु मानते थे

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जीवन - परिचय - हिन्दी में | Bhartendu Harishchandra Ka Jeevan Parichay In Hindi | Bhartendu Harishchandra Biography In Hindi

                   भारतेन्दु     हरिश्चन्द्र जन्म सन् - 1850                             मृत्यु सन् - 1885                         Photo Source : Google         पिता का नाम - गोपालचन्द्र 'गिरधरदास' माता का नाम - पार्वती देवी  भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी का जीवन - परिचय विस्तार से पढ़ें - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी का जन्म  भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पञ्चमी को संवत् 1907वि० (1850ई०) को काशी के एक सम्पन्न वैश्य परिवार में हुआ था | इनका घराना काशी के धनाढ्य वर्ग में रहा | ये सेठ अमीचन्द की वंश - परम्परा में आते हैं जो कि काशी के इतिहास प्रसिद्ध थे | इनके पिता का नाम गोपाल चन्द्र  'गिरधर दास' जो कि साहित्यप्रेमी और भक्त थे , इनते पिता ने भी 'नहुष - वध' नाटक और कुछ कविताएँ लिखी थी | इनके माता का नाम पार्वती देवी था , हरिश्चन्द जी जब बालक (लगभग 5वर्ष के) थे , तभी इनके माता का साया इनके सिर से उठ गया | जब कुछ बड़े हुए (10वर्ष) तो पिताजी भी दुनिया छोड़कर चले गये | भारतेन्दु जी का दाखिला क्वींस कॉलेज में कराया गया , लेकिन पैतृक सम्पत्तियों की देखभाल