रामधारी सिंह दिनकर जी का जीवन - परिचय - हिन्दी में । Ramdhari Singh Dinkar Ka Jeevan Parichay । Gupshup News
रामधारी सिंह 'दिनकर'
जन्म सन् - 1908 मृत्यु सन् - 1974
पिता का नाम - श्री रवि सिंह
माता का नाम - श्रीमती मनरूप देवी
जन्म - स्थान - बिहार के मुंगेर जिला के सिमरिया ग्राम
पिता का नाम - श्री रवि सिंह
माता का नाम - श्रीमती मनरूप देवी
जन्म - स्थान - बिहार के मुंगेर जिला के सिमरिया ग्राम
रामधारी सिंह 'दिनकर' जी जीवन - परिचय विस्तार से पढ़ें -
रामधारी सिंह 'दिनकर' जी का जन्म 30 सितम्बर , सन् 1908ई० को सिमरिया गांव में हुआ था , जो कि बिहार के मुँगेर जिले में है | इनके माताजी का नाम श्रीमती मनरूप देवी तथा पिताजी का नाम श्री रवि सिंह था |
इन्हें पिताजी का प्यार नहीं मिल सका क्योंकि जब 'दिनकर' जी सिर्फ दो वर्ष के थे तभी इनके पिताजी का निधन हो गया |
गाँव के स्कूल में ही आरम्भिक पढ़ाई की , मैट्रिक की परीक्षा रेलवे के स्कूल में पास की और सर्वाधिक अंक हिन्दी में प्राप्त किये | सन् 1932 में पटना कॉलेज से बी०ए० किया .और एक स्कूल में अध्यापक के पद पर नियुक्त हुये | इस पद को छोड़कर सन् 1934 में सब - रजिस्टार बन गये |
ये राजकीय प्रचार विभाग में आ गये , उस समय अंग्रेजों के विरुद्ध कोई कुछ नहीं कह सकता था फिर भी 'दिनकर' जी ने क्रान्ति जगाने वाली कविताएँ लिखीं |
मुजफ्फरपुर के एक महाविद्यालय में सन् 1950 में हिन्दी विभाग का अध्यक्ष बनाया गया | इन्हें राज्यसभा का सदस्य सन् 1952ई० में मनोनीत किया गया |
इनका मशहूर काव्य 'उर्वशी' भी सन् 1961ई० में प्रकाशित हुआ |
इन्हें केन्द्रीय सरकार की हिन्दी समिति का परामर्शदाता बनाया गया | इन्हें 1972ई० में ज्ञानपीठ पुरस्कार भी मिला |
साहित्य की निरन्तर सेवा करते हुए ये दिग्गज साहित्यकार 24 अप्रेल , सन् 1974ई० को सदा के लिए अस्त हो गया |
इन्हें पिताजी का प्यार नहीं मिल सका क्योंकि जब 'दिनकर' जी सिर्फ दो वर्ष के थे तभी इनके पिताजी का निधन हो गया |
गाँव के स्कूल में ही आरम्भिक पढ़ाई की , मैट्रिक की परीक्षा रेलवे के स्कूल में पास की और सर्वाधिक अंक हिन्दी में प्राप्त किये | सन् 1932 में पटना कॉलेज से बी०ए० किया .और एक स्कूल में अध्यापक के पद पर नियुक्त हुये | इस पद को छोड़कर सन् 1934 में सब - रजिस्टार बन गये |
ये राजकीय प्रचार विभाग में आ गये , उस समय अंग्रेजों के विरुद्ध कोई कुछ नहीं कह सकता था फिर भी 'दिनकर' जी ने क्रान्ति जगाने वाली कविताएँ लिखीं |
मुजफ्फरपुर के एक महाविद्यालय में सन् 1950 में हिन्दी विभाग का अध्यक्ष बनाया गया | इन्हें राज्यसभा का सदस्य सन् 1952ई० में मनोनीत किया गया |
इनका मशहूर काव्य 'उर्वशी' भी सन् 1961ई० में प्रकाशित हुआ |
इन्हें केन्द्रीय सरकार की हिन्दी समिति का परामर्शदाता बनाया गया | इन्हें 1972ई० में ज्ञानपीठ पुरस्कार भी मिला |
साहित्य की निरन्तर सेवा करते हुए ये दिग्गज साहित्यकार 24 अप्रेल , सन् 1974ई० को सदा के लिए अस्त हो गया |
वास्तव में 'दिनकर' जी अच्छे साहित्यकार थे , ये विद्रोहशील मनोवृत के थे | इनके कविताओं में वीर रस की प्रधानत: ज्यादा है , इससे पता चलता है कि सच में इनके कविताओं में क्रान्ति जगाने वाले गुण विद्यमान थे |
कुल मिलाकर इनमें देश के दुश्मनों और गरीबों के शोषण के खिलाफ लिखने की ताकत थी | जो हर किसी पास नहीं होती है | इनकी पहचान कवि के रूप में ज्यादा होती है | क्योंकि इनके कविताओं में अलग तरह का उमंग है |
दिनकर जिसका अर्थ सूर्य है तो ये बिल्कुल सही बैठता है रामधारी सिंह जी के ऊपर क्योंकि जिस तरह सूर्य उजाला फैलाता है ठीक उसी प्रकार की उजाला साहित्य के माध्यम से किया है |
दिनकर जी के रचनाओं के अन्दर राष्ट्रप्रेमता कूट - कूट कर भरी है |
रामधारी सिंह 'दिनकर' जी आज भले ही हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनकी कमी सम्पूर्ण साहित्य समाज एवं साहित्यप्रेमियों को हरदम खलेगी |
कुल मिलाकर इनमें देश के दुश्मनों और गरीबों के शोषण के खिलाफ लिखने की ताकत थी | जो हर किसी पास नहीं होती है | इनकी पहचान कवि के रूप में ज्यादा होती है | क्योंकि इनके कविताओं में अलग तरह का उमंग है |
दिनकर जिसका अर्थ सूर्य है तो ये बिल्कुल सही बैठता है रामधारी सिंह जी के ऊपर क्योंकि जिस तरह सूर्य उजाला फैलाता है ठीक उसी प्रकार की उजाला साहित्य के माध्यम से किया है |
दिनकर जी के रचनाओं के अन्दर राष्ट्रप्रेमता कूट - कूट कर भरी है |
रामधारी सिंह 'दिनकर' जी आज भले ही हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनकी कमी सम्पूर्ण साहित्य समाज एवं साहित्यप्रेमियों को हरदम खलेगी |
रामधारी सिंह दिनकर साहितियक परिचय -
रामधारी सिंह दिनकर जी की कुछ रचनाऐं निम्न है -
रेणुका , रसवन्ती , हुंकार , द्वन्द्व - गीत , नये सुभाषित , नीम के पत्ते , चक्रवाल , परशुराम की प्रतीक्षा , सामधेनी , नील कुसुम , सीपी और शंख , आत्मा की आँखें , हारे को हरिनाम , कविश्री , प्रणभंग , बापू , धूप और धुआँ , रश्मिरथ , रेणुका , कुरुक्षेत्र , स्मृति - तिलक , द्वन्द्व - गीत इत्यादि |
रेणुका , रसवन्ती , हुंकार , द्वन्द्व - गीत , नये सुभाषित , नीम के पत्ते , चक्रवाल , परशुराम की प्रतीक्षा , सामधेनी , नील कुसुम , सीपी और शंख , आत्मा की आँखें , हारे को हरिनाम , कविश्री , प्रणभंग , बापू , धूप और धुआँ , रश्मिरथ , रेणुका , कुरुक्षेत्र , स्मृति - तिलक , द्वन्द्व - गीत इत्यादि |
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