सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

अबिगत - गति कछु कहत न आवै का संदर्भ , प्रसंग सहित व्याख्या । Abigat - Gati Kachhu Kahat Na Awe

प्रस्तुत पद्यांश "अबिगत - गति कछु कहत न आवै" का संदर्भ , प्रसंग , व्याख्या , काव्यगत सौंदर्य , शब्दार्थ इस आर्टिकल में लिखा गया है। जो की सूरदास जी की रचना है , ये छात्रों के लिए काफी मददगार होने वाला है। खास बात यह है कि अगर आप यूपी बोर्ड के 10वीं में हो तो हिंदी के "काव्य" में "पद" शीर्षक में है।
आपको दूढ़ने में दिक्कत ना हो इसलिए हर एक "पद" का आर्टिकल अलग - लिखा गया है। 

इस आर्टिकल के लेखक हैं , अवनीश कुमार मिश्रा।

Up Board Class 10th "Kavyakhand" Chapter 1 "Surdas" 

सूरदास जी का जीवन परिचय - Soordas Ji Ka Jivan Parichay | Biography Of Soordas In Hindi 

यूपी 10वीं हिन्दी (काव्य) सूरदास के "पद" शीर्षक के और अन्य पदों को पढ़ें -

चरन कमल बंदौ हरि राइ की संदर्भ , प्रसंग सहित व्याख्या । Charan Kamal Bandau Hari Rai Soordas Ke Pad । UP Board 10th Syllabus



                            पद

अबिगत - गति कछु कहत न आवै।
ज्यों गूंगै मीठे फल कौ रस अंतरगत ही भावै।।
परम स्वाद सबही सु निरंतर अमित दोष उपजावै।
मन - बानी कौ अगम - अगोचर सौ जानै जो पावै।।
रूप - रेख- गुन - जाति - जुगति - बिनु निरालंब कित धावै।
सब बिधि अगम बिचारहिं तातैं सूर सगुन - पद गावै।।

संदर्भ - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के "काव्य खंड" में "पद" शीर्षक से उद्धृत है , जो कि "सूरसागर" नामक ग्रंथ से लिया गया है। जिसके रचयिता हैं "सूरदास" जी।

प्रसंग - प्रस्तुत पद्यांश में कवि सूरदास जी ने निर्गुण ब्रह्म की उपासना में कठिनाई बताते हुए सगुण ब्रह्म (श्रीकृष्ण) की भक्ति करने और उनकी लीला का गान करने को श्रेष्ठ बताया है।

व्याख्या - प्रस्तुत पद्यांश में कवि सूरदास जी कह रहे हैं कि निराकार ब्रह्म का वर्णन करना अत्यंत कठिन है। क्योंकि उनके स्थिति के बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।
आगे उदाहरण देते हुए सूरदास जी कहते हैं कि जिस प्रकार मीठे फल खाने के बाद गूंगा उसका स्वाद नहीं बता सकता। बस केवल अंदर ही अंदर आनंद लेता है। ठीक उसी प्रकार निराकार ब्रह्म की उपासना का आनंद भी भक्त को अंदर ही अंदर प्राप्त होता है। वे किसी से कह नहीं पाते।
निराकार ब्रह्म की उपासना से उपासक को बहुत ज्यादा  आनंद आता है और असीम संतोष भी होता है। परन्तु इसे जानना सबके बस की बात नहीं है। क्योंकि इसे इन्द्रियों से नहीं जाना जा सकता है।
निराकार ब्रह्म का न तो कोई रूप है , न कोई आकृति है। न ही उसकी कोई निश्चित विशेषता है। न ही कोई जाति है। न ही किसी युक्ति द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। ऐसे में उपासक बिना किसी आधार के कहां भटकता रहेगा। क्योंकि निराकार ब्रह्म सभी प्रकार से पहुंच के बाहर है। अर्थात जिस ब्रह्म का कोई आकर ही नहीं ही , जिसका कोई आधार ही नहीं है, उसकी उपासना कौन करना चाहेगा। 
ऐसे में सूरदास जी कहते हैं , कि हमने सभी प्रकार का विचार किया और करने के बाद सगुण (श्रीकृष्ण) की भक्ति लीला के गान करने का निर्णय लिया।

काव्यगत सौंदर्य -

प्रस्तुत पद्यांश में निराकार ब्रह्म को कठिन एवम् सगुण भक्ति को सरल बताया गया है।
1. शैली - मुक्तक
2. भाषा - साहित्यिक ब्रज
3.  छंद- गेय पद
4. रस - भक्ति और शांति
5. शब्दशक्ति - लक्षणा
6. गुण - प्रसाद

कठिन शब्दों के अर्थ -

अबिगत = निराकार ब्रह्म
गति = दशा
अंतरगत = अंदर ही अंदर (हृदय में)
भावै = अच्छा लगता है
परम = बहुत अधिक
अमित = अधिक
तोष = संतोष 
उपजावै = उत्पन्न करता है।
अगोचर = जो इन्द्रियों से न जाना जा सके।
रूप = आकार
रेख = आकृति
जुगति = युक्ति
निरालंब = बिना किसी सहारे के
धावै = दौड़े
बिधि = प्रकार
अगम = पहुंच से बाहर
तातैं = इसलिए
सगुन = सगुण ब्रह्म

यूपी बोर्ड हिन्दी 'काव्य' के अन्य और अभ्यास -



Up Board Hindi Solution, Surdas


Keywords - 

क्लास 10th के बाद वाले पहले लेशन का सूरदास का टोटल व्याख्या करके दीजिए दूसरे पैराग्राफ से
Class 10 Hindi Chapter 1 Surdas Ke Pad Ke Vyakhya
कक्षा 10 हिंदी पाठ 1 सूरदास दोहे का व्याख्या
सूरदास के पदों के आधार पर भ्रमरगीत के काव्य सौंदर्य की प्रमुख चार विशेषताएं लिखिए
सूरदास के पद कक्षा 10 व्याख्या
सूरदास के पद कक्षा 10 व्याख्या PDF
सूरदास की व्याख्या
सूरदास के पद का सारांश
सूरसागर के पद अर्थ सहित pdf
पद Class 10
Class 11th Hindi Surdas
भ्रमरगीत सार (व्याख्या) कक्षा ११
सूरदास जी के पदों को भाषा है
सूर श्याम के पद
सूरदास के भ्रमरगीत
विनय के पद की व्याख्या सूरदास Class 11
कक्षा 10 हिंदी पाठ 1 के प्रश्न उत्तर
सूरदास के पद के आधार पर बताइए कक गोवपर्ों का र्ोग साधना के प्रनत कै सा दृजटटकोण था
सूरदास के पद के आधार पर बताइए कि गोपियों का योग साधना के प्रति कैसा दृष्टिकोण था
Surdas Ke Pad Ki Vyakhya Class 10
Surdas Ke Pad Ka Vyakhya
सूरदास पाठ की व्याख्या Class 11
सूरदास के पद कहां से लिए गए हैं
सूरदास के पद प्रश्न उत्तर
Surdas Ke Pad PDF
सूरदास की व्याख्या Class 11
सूर के पद की व्याख्या Class 10
सूरदास की व्याख्या बताइए Class 11
सूरदास के पद का सारांश
Surdas Vyakhya Class 10
सूरदास की व्याख्या बताइए
सूरदास की व्याख्या कक्षा 10
सूरदास की व्याख्या Class 11
सूरदास की व्याख्या बताइए
सूरदास पाठ की व्याख्या
सूरदास पाठ की व्याख्या बताइए
सूरदास व्याख्या
सूरदास के पद की व्याख्या Class 10
सूरदास के पद की व्याख्या
सूरदास के पदों की व्याख्या

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ की संदर्भ, प्रसंग सहित व्याख्या । Meri Bhaw Badha Harau Doha Bihari Lal

"मेरी भव-बाधा हरौ" की संदर्भ सहित व्याख्या इस आर्टिकल में की गई है। जो कि रससिद्ध कवि बिहारी की रचना है। और खास बात यह है कि यह पद्यांश यूपी बोर्ड के 10वीं के हिन्दी के काव्य में "भक्ति" शीर्षक से है। तो अगर आप 10वीं में हो तो आपके लिए ये काम की आर्टिकल है। आपके परीक्षा में आ सकता है।  ये दोहा शीर्षक का पहला "दोहा" है। आपको ढूढ़ने में दिक्कत ना हो इसलिए हर एक "पद" के लिए अलग - आर्टिकल लिखा गया है। (यह आर्टिकल आप Gupshup News वेबसाइट पर पढ़ रहे हो जिसे लिखा अवनीश कुमार मिश्रा ने वे ही इस वेबसाइट के ऑनर हैं) दोहा - मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ । जा तन की झांईं परै, स्यामु हरित-दुति होइ॥ संदर्भ - प्रस्तुत दोहा  हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के "काव्य खंड" में "भक्ति " शीर्षक से उद्धृत है , जोकि रीतिकाल के रससिद्ध कवि बिहारी द्वारा रचित ‘बिहारी सतसई’ नामक ग्रंथ से लिया गया है। प्रसंग - प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने राधा जी की वंदना की है। प्रस्तुत दोहे के कईं भाव हैं तो सभी को लिखा जा रहा है, जिससे समझने में आसानी हो। व्याख्या -   1

ऊधौ मोहिं ब्रज बिसरत नाहीं संदर्भ, प्रसंग सहित व्याख्या । Udhav Mohi Braj Bisrat Nahi Soordas Ke Pad । Up Board Hindi 10th Syllabus

"ऊधौ मोहिं ब्रज बिसरत नाहीं" की संदर्भ, प्रसंग सहित व्याख्या इस आर्टिकल में की गई है। जो कि सूरदास जी की रचना है। और खास बात यह है कि यह पद्यांश यूपी बोर्ड के 10वीं के हिन्दी के काव्य में "पद" शीर्षक से है। तो अगर आप 10वीं में हो तो आपके लिए ये काम की आर्टिकल है। आपके परीक्षा में आ सकता है।  ये पद शीर्षक का सातवां "पद" है। आपको ढूढ़ने में दिक्कत ना हो इसलिए हर एक "पद" के लिए अलग - अलग आर्टिकल लिखा गया है। (यह आर्टिकल आप Gupshup News वेबसाइट पर पढ़ रहे हो जिसे लिखा है, अवनीश कुमार मिश्रा ने, ये ही इस वेबसाइट के ऑनर हैं) Up Board Class 10th "Kavyakhand" Chapter 1 "Surdas"   सूरदास जी का जीवन परिचय - Soordas Ji Ka Jivan Parichay | Biography Of Soordas In Hindi  यूपी 10वीं हिन्दी (काव्य) सूरदास के "पद" शीर्षक के और अन्य पदों को पढ़ें - चरन कमल बंदौ हरि राइ की संदर्भ , प्रसंग सहित व्याख्या । Charan Kamal Bandau Hari Rai Soordas Ke Pad । UP Board 10th Syllabus  अबिगत - गति कछु कहत न आवै का संदर्भ , प्रसंग सहित व्याख्या । A

बलिहारी गुर आपणैं का संदर्भ , प्रसंग सहित व्याख्या । Sakhi । Kabeer Ke Dohe Class 11 Up Board Solutions

प्रस्तुत पद्यांश "बलिहारी गुर आपणैं ‘" का संदर्भ , प्रसंग , व्याख्या , काव्य सौंदर्य तथा शब्दार्थ इस आर्टिकल में लिखा गया है। जो की कबीरदास जी की रचना है , ये छात्रों के लिए काफी मददगार होने वाला है। खास बात यह है कि अगर आप यूपी बोर्ड के 11वीं में हो तो हिंदी के "काव्य" पाठ 1 में "साखी" शीर्षक से है। आपको दूढ़ने में दिक्कत ना हो इसलिए हर एक "दोहे" का आर्टिकल अलग - लिखा गया है। (यह आर्टिकल आप Gupshup News वेबसाइट पर पढ़ रहे हो जिसे लिखा है, अवनीश कुमार मिश्रा ने, ये ही इस वेबसाइट के ऑनर हैं)                               दोहा बलिहारी गुर आपणैं, द्यौहाड़ी कै बार। जिनि मानिष तैं देवता, करत न लागी बार॥ सन्दर्भ - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के "काव्य खंड" में ‘साखी’ शीर्षक से उद्धृत है, जो साखी ग्रंथ से लिया गया है। जिसके रचयिता कबीरदास जी हैं। प्रसंग - कबीरदास ने प्रस्तुत दोहे में गुरु के प्रति अपनी भावना व्यक्त किया है और महिमा का वर्णन करते हुए उनपर न्यौछावर हो जाने की बात की है।  व्याख्या - प्रस्तुत दोहे में कबीरदास जी गु