सरयू नदी स्वच्छता अभियान के तहत कर्नलगंज में मनिहारी गांव स्थित यमद्वितीया घाट पर सरयू नदी के शमशान व घाट की सफाई का अभियान गांधी जयंती के मौके पर चलाया गया जिसमें स्थानीय युवा, आज़ाद युवा फाउंडेशन व नेचर क्लब फाउंडेशन के डेढ़ दर्जन सदस्यों ने मिलकर नदी के तट से करीब 20 क्वंटल कचरा साफ किया। सरयू नदी में सफाई का अभियान टर्टल सर्वाइवल एलायंस के नेतृत्व में आज़ाद युवा फाउंडेशन व नेचर क्लब गोण्डा के द्वारा कटरा घाट पर भी विगत 4 वर्षों से चल रहा है और अब इस अभियान को जन-जन तक पहुंचाने के लिए सरयू वालों ने कमर कसा है। अभियान के अभिषेक दुबे ने बताया कि अब सरयू नदी के विभिन्न घाटों पर एक-एक करके सफाई अभियान स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलकर आगे बढ़ाना है और इसके लिए जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को जोड़ रहे हैं। स्थानीय युवा अवनीश मिश्र व मनीष मिश्र घाट के आसपास के युवाओं से अभियान में जुड़ने की अपील कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जनसहयोग से ही नदी का उद्धार हो सकता है। हर्षित सिंह ने कहा कि सरयू नदी में कचरा न फेंका जाए, इसके जीवों व वनस्पतियों का संरक्षण हो, यही धर्म का मूल है। डॉ आशीष गुप्ता ने यमद्वितीया घाट के आसपास की हरियाली को सराहा और उसे संरक्षित करने के लिए अभियान को मजबूत करने की बात कही। इस मौके पर अतुल सिंह, शुभांकन मिश्रा, आनंद, विनीत, हिमांशु, रोहित, अनिल आदि युवा मौजूद रहे।
मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ की संदर्भ, प्रसंग सहित व्याख्या । Meri Bhaw Badha Harau Doha Bihari Lal
"मेरी भव-बाधा हरौ" की संदर्भ सहित व्याख्या इस आर्टिकल में की गई है। जो कि रससिद्ध कवि बिहारी की रचना है। और खास बात यह है कि यह पद्यांश यूपी बोर्ड के 10वीं के हिन्दी के काव्य में "भक्ति" शीर्षक से है। तो अगर आप 10वीं में हो तो आपके लिए ये काम की आर्टिकल है। आपके परीक्षा में आ सकता है। ये दोहा शीर्षक का पहला "दोहा" है। आपको ढूढ़ने में दिक्कत ना हो इसलिए हर एक "पद" के लिए अलग - आर्टिकल लिखा गया है। (यह आर्टिकल आप Gupshup News वेबसाइट पर पढ़ रहे हो जिसे लिखा अवनीश कुमार मिश्रा ने वे ही इस वेबसाइट के ऑनर हैं) दोहा - मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ । जा तन की झांईं परै, स्यामु हरित-दुति होइ॥ संदर्भ - प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के "काव्य खंड" में "भक्ति " शीर्षक से उद्धृत है , जोकि रीतिकाल के रससिद्ध कवि बिहारी द्वारा रचित ‘बिहारी सतसई’ नामक ग्रंथ से लिया गया है। प्रसंग - प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने राधा जी की वंदना की है। प्रस्तुत दोहे के कईं भाव हैं तो सभी को लिखा जा रहा है, जिससे समझने में आसानी हो। व्याख्या - 1
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