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मेरी भव बाधा हरो अलंंकार । Meri Bhav Badha Haro Me Kaun Sa Alankar Hai?

'मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ ।
जा तन की झांईं परै, स्यामु हरित-दुति होइ॥ में कौन सा अलंकार है'। इसकी नॉलेज इस आर्टिकल में है। बहुत सारे एग्जाम्स जैसे - यूपी बोर्ड परीक्षा, पुलिस, लेखपाल, पीसीएस आदि में ये पूछा जा सकता है। तो आपको अलंकार के साथ - साथ उसके बारे में काफ़ी अच्छे से बताएंगे। meri bhav badha haro alankar के बारे में इस आर्टिकल में अवनीश कुमार मिश्रा ने अच्छे से बताया है ये ही इस वेबसाइट के ऑनर हैं।

प्रश्न - मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ ।
जा तन की झांईं परै, स्यामु हरित-दुति होइ॥ में कौन सा अलंकार है?

उत्तर -

मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ ।
जा तन की झांईं परै, स्यामु हरित-दुति होइ॥ पंक्ति में श्लेष अलंकार है। प्रस्तुत दोहे में हरित शब्द के दो अर्थ हैं- हर्षित (प्रसन्न होना) और हरे रंग का होना। अतः यह उदाहरण श्लेष के अंतर्गत आएगा क्योंकि एक ही शब्द के दो अर्थ प्रकट हो रहे हैं।
श्लेष अलंकार - श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ।  जब एक ही शब्द से हमें विभिन्न अर्थ मिलते हों तो उस समय श्लेष अलंकार होता है। यानी जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है लेकिन उससे अर्थ कई निकलते हैं तो वह श्लेष अलंकार कहलाता है।

Keywords -

Meri Bhav Badha Haro Bihari
मेरी भव बाधा हरो अलंकार

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