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ऊधौ मन न भये दस बीस का संदर्भ, प्रसंग सहित व्याख्या । Udhau Man Na Bhaye Das Bees Surdas Ke Pad । Up Board Hindi 10th Solved

"ऊधौ मन न भये दस बीस" की संदर्भ, प्रसंग सहित व्याख्या इस आर्टिकल में की गई है। जो कि सूरदास जी की रचना है। और खास बात यह है कि यह पद्यांश यूपी बोर्ड के 10वीं के हिन्दी के काव्य में "पद" शीर्षक से है। तो अगर आप 10वीं में हो तो आपके लिए ये काम की आर्टिकल है। आपके परीक्षा में आ सकता है। 
ये पद शीर्षक का आठवां "पद" है। आपको ढूढ़ने में दिक्कत ना हो इसलिए हर एक "पद" के लिए अलग - अलग आर्टिकल लिखा गया है। (यह आर्टिकल आप Gupshup News वेबसाइट पर पढ़ रहे हो जिसे लिखा है, अवनीश कुमार मिश्रा ने, ये ही इस वेबसाइट के ऑनर हैं)

                             पद

ऊधौ मन न भये दस बीस।।
एक हुतौ सो गयौ स्याम सँग, को अवराधै ईस ॥
इंद्री सिथिल भई केसव बिनु, ज्यौं देही बिनु सीस।
आसा लागि रहति तन स्वासा, जीवहिं कोटि बरीस ॥
तुम तौ सखा स्याम सुन्दर के, सकल जोग के ईस।।
सूर हमारै नंदनंदन बिनु, और नहीं जगदीस ।।

संदर्भ - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के "काव्य खंड" में "पद" शीर्षक से उद्धृत है , जो कि "सूरसागर" नामक ग्रंथ से लिया गया है। जिसके रचयिता है "सूरदास" जी।

व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियों में गोपियां उद्धव से कहती हैं, कि हे उद्धव मन तो हमारा एक ही है, दस-बीस मन तो हैं नहीं कि एक को उनमें और एक को किसी और में लगा दें। मेरे पास तो केवल एक ही मन है अब वह भी मेरे पास नहीं है, वह कृष्ण के साथ चला गया है। तो हे! उद्धव अब तुम ही बताओ की तुम्हारे निर्गुण ब्रह्म की उपासना अब किस मन से करें ? आगे फिर गोपियां कहती हैं, की हमारी इंद्रियां शिथिल हो गईं हैं जैसे हमारी देह बिना सिर की हो गई हो।
गोपियां कहती हैं कि हे! उद्धव हम तो श्यामसुंदर की वियोगिनी हैं, तो उनसे मिलने की आशा में इस सिर-विहीन शरीर में हम अपने प्राणों को करोड़ों वर्ष रख सकती हैं। गोपियों के कहने का अर्थ ये है कि हमारे एक - एक सांस में श्रीकृष्ण के आने की आशा है। तो उस आशा में हम करोड़ों साल तक उनके आने का इंतज़ार कर सकते हैं। उद्धव तुम्हारा क्या तुम सकल जोग के ईश हो। तुम तो योगियों में भी शिरोमणि हो। यह व्यंग्य मारते हुए गोपियां कहती हैं हमारे भगवान तो श्रीकृष्ण हैं हमारे और कोई भगवान नहीं हैं।

टिप्पणियाँ

  1. Sir , 8 पद की व्याख्या नहीं है

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  2. उधो मन न भए दस बीस एक हो तो सो गयो श्याम संग को और राधे

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  3. उधो मन न भए दस बीस

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  4. कोईudho jahu tumhe hm jane ka arth

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  5. Udho jahi tumhe hm jane ke पैराग्राफ का अर्थ

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