ऊधौ जाहु तुमहिं हम जाने की संदर्भ, प्रसंग सहित व्याख्या । Udhau Jahu Tumahin Ham Jane Soordas Ke Pad । Up Board 10th Hindi Solved
"ऊधौ जाहु तुमहिं हम जाने" की संदर्भ, प्रसंग सहित व्याख्या इस आर्टिकल में की गई है। जो कि सूरदास जी की रचना है। और खास बात यह है कि यह पद्यांश यूपी बोर्ड के 10वीं के हिन्दी के काव्य में "पद" शीर्षक से है। तो अगर आप 10वीं में हो तो आपके लिए ये काम की आर्टिकल है। आपके परीक्षा में आ सकता है।
ये पद शीर्षक का नवां "पद" है। आपको ढूढ़ने में दिक्कत ना हो इसलिए हर एक "पद" के लिए अलग - अलग आर्टिकल लिखा गया है। (यह आर्टिकल आप Gupshup News वेबसाइट पर पढ़ रहे हो जिसे लिखा है, अवनीश कुमार मिश्रा ने, ये ही इस वेबसाइट के ऑनर हैं)
पद
ऊधौ जाहु तुमहिं हम जाने।
स्याम तुमहिं ह्यां कौं नहिं पठयौ, तुम हौ बीच भुलाने ॥
ब्रज नारिनि सौं जोग कहत हौं, बात कहत न लजाने ।
बड़े लोग न विवेक तुम्हारे, ऐसे भए अयाने ॥
हमसौं कही लई हम सहि कै, जिय गुनि लेहु सयाने ।
कहँ अबला कहँ दसा दिगंबर, मष्ट करौ पहिचाने ॥
साँच कहो तुमको अपनी सौं, बूझति बात निदाने ।
सूर स्याम जब तुमहिं पठायौ, तब नैकहुँ मुसकाने ।।
संदर्भ - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के "काव्य खंड" में "पद" शीर्षक से उद्धृत है , जो कि "सूरसागर" नामक ग्रंथ से लिया गया है। जिसके रचयिता है "सूरदास" जी।
शत्रुघ्न कोन थे
जवाब देंहटाएंKauravo me se ek
हटाएंThank you
जवाब देंहटाएंRam ke bhai
जवाब देंहटाएंUdhas Ja Tum Hi Ham Jaane
जवाब देंहटाएंGy7hguuu
जवाब देंहटाएंसूरदास का पद!!9!! वाक्य
जवाब देंहटाएंAnuvaad
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