सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

गुलरी के फुलवा लिरिक्स | Gulari Kai Phulawa Lyrics | Mehandi Lagake Rakhna 2 Movie | Chintu Pandey , Richa Dixit | Kalpna , Rajnish Mishra

गुलरी के फुलवा गाना भोजपुरी की फिल्म 'मेंहदी के फुलवा 2' का है | इस गाने को गाया है कल्पना , रजनीश मिश्रा ने | लिखा है प्यारे लाल यादव 'कवि जी' ने और संगीत दिया है रजनीश मिश्रा ने | अभिनेता हैं प्रदीप पांडेय 'चिंटू' और अभिनेत्री रिचा दीक्षित हैं |

फिल्म - मेंहदी लगाके रखना 2
गाना - गुलरी के फुलवा
गायक / गायिका - कल्पना व रजनीश मिश्रा
गीतकार - प्यारे लाल यादव (कवि जी)
संगीतकार - रजनीश मिश्रा
लेबल - Entert10 Music Bhojpuri

         -:- गाने के मुखड़े का अर्थं -:-

नायिका कहती है कि कब तक प्रेम रूपी दिया दिल में जला रखूं और कब तक मैं पगली बनकर  तुम्हारी राह देखूं | 
अब तो इतना आंसू निकल रहें हैं कि उससे हमारी आंखों का काजल ही बह गया | बलम तुम गूलर के फूल हो गये हो |


      -:- गुलरी के फुलवा लिरिक्स -:-

प्रेम के दियरा दिल में जरा के,
बोला कब ले राखी,
बनके बंवरिया तोहरी डगरिया,
पगली कब ले ताकी…
अब त अंसुअन से .. अब त अंसुअन से,
बह गईल कजरवा बलम तू त हो गईला ,
गुलरी के फुलवा..
बलम हाय…
तू त हो गईला, गुलरी के फुलवा..
बलम हाय…
तू त हो गईला …

हो मिलिहे सनम हमसे जब मुस्कुरा के,
देखते समा जईहे बहिया में आके…
मासूम यार से मिलन के ख़ुशी में,
दिल में धड़कन अटक जाये आके..
अटक जाए आके…
पल पल म्हारे प्रीत पिया के धईले ना धीर धराता, मेहंदी महावर निक ना लागे सब अरमान छिटाता,
अब त लागेला…. अब त लागेला,
माहूर सिंगारवा बलम तू त हो गईल,
गुलरी के फुलवा..
बलम हाय…
तू त हो गईला , गुलरी के फुलवा..
बलम हाय…
तू त हो गईला…

पानी बिन जईसे तडपे मछरिया,
ओईसही तडपे ले तोहरी गुज़रिया…
हो कवना कसूर दूर भईला संवरिया,
हमरा के छोड़ मोड़ लिहल नजरिया,
लिहल नजरिया…
कवना घडी में कवना कलम से किस्मत मोर लिखाईल,
कवना बदरा के अदरा में चनवा आज लुकाईल, अब त घेर ले बा… अब त घेर ले बा ,
सगरो अन्हरवा, बलम तू त हो गईल…
गुलरी के फुलवा..
बलम हाय…
तू त हो गईला , गुलरी के फुलवा..
बलम हाय…
तू त हो गईल…

यह दर्द भरा भोजपुरी लिरिक्स आपको कैसा लगा | कमेंट करके जरूर बतायें |

आपकी क्या राय है इस आर्टिकल के बारे में कमेंट में जरूर बतायें |

अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो और आप इसी तरह के लेख पढ़ना चाहते हैं तो न्यूजलेटर में अपना ईमेल डाल कर सबमिट करें और ईमेल वेरीफिकेशन करके सबस्क्राइब करें या ऊपर आ रहे नोटिफिकेशन को Allow करके सबस्क्राइब करें ताकि आप ऐसी खबरें पा सको | अच्छा लगे तो शेयर करें |
                 
                 अवनीश कुमार मिश्रा

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ की संदर्भ, प्रसंग सहित व्याख्या । Meri Bhaw Badha Harau Doha Bihari Lal

"मेरी भव-बाधा हरौ" की संदर्भ सहित व्याख्या इस आर्टिकल में की गई है। जो कि रससिद्ध कवि बिहारी की रचना है। और खास बात यह है कि यह पद्यांश यूपी बोर्ड के 10वीं के हिन्दी के काव्य में "भक्ति" शीर्षक से है। तो अगर आप 10वीं में हो तो आपके लिए ये काम की आर्टिकल है। आपके परीक्षा में आ सकता है।  ये दोहा शीर्षक का पहला "दोहा" है। आपको ढूढ़ने में दिक्कत ना हो इसलिए हर एक "पद" के लिए अलग - आर्टिकल लिखा गया है। (यह आर्टिकल आप Gupshup News वेबसाइट पर पढ़ रहे हो जिसे लिखा अवनीश कुमार मिश्रा ने वे ही इस वेबसाइट के ऑनर हैं) दोहा - मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ । जा तन की झांईं परै, स्यामु हरित-दुति होइ॥ संदर्भ - प्रस्तुत दोहा  हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के "काव्य खंड" में "भक्ति " शीर्षक से उद्धृत है , जोकि रीतिकाल के रससिद्ध कवि बिहारी द्वारा रचित ‘बिहारी सतसई’ नामक ग्रंथ से लिया गया है। प्रसंग - प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने राधा जी की वंदना की है। प्रस्तुत दोहे के कईं भाव हैं तो सभी को लिखा जा रहा है, जिससे समझने में आसानी हो। व्याख्या -   1

ऊधौ मोहिं ब्रज बिसरत नाहीं संदर्भ, प्रसंग सहित व्याख्या । Udhav Mohi Braj Bisrat Nahi Soordas Ke Pad । Up Board Hindi 10th Syllabus

"ऊधौ मोहिं ब्रज बिसरत नाहीं" की संदर्भ, प्रसंग सहित व्याख्या इस आर्टिकल में की गई है। जो कि सूरदास जी की रचना है। और खास बात यह है कि यह पद्यांश यूपी बोर्ड के 10वीं के हिन्दी के काव्य में "पद" शीर्षक से है। तो अगर आप 10वीं में हो तो आपके लिए ये काम की आर्टिकल है। आपके परीक्षा में आ सकता है।  ये पद शीर्षक का सातवां "पद" है। आपको ढूढ़ने में दिक्कत ना हो इसलिए हर एक "पद" के लिए अलग - अलग आर्टिकल लिखा गया है। (यह आर्टिकल आप Gupshup News वेबसाइट पर पढ़ रहे हो जिसे लिखा है, अवनीश कुमार मिश्रा ने, ये ही इस वेबसाइट के ऑनर हैं) Up Board Class 10th "Kavyakhand" Chapter 1 "Surdas"   सूरदास जी का जीवन परिचय - Soordas Ji Ka Jivan Parichay | Biography Of Soordas In Hindi  यूपी 10वीं हिन्दी (काव्य) सूरदास के "पद" शीर्षक के और अन्य पदों को पढ़ें - चरन कमल बंदौ हरि राइ की संदर्भ , प्रसंग सहित व्याख्या । Charan Kamal Bandau Hari Rai Soordas Ke Pad । UP Board 10th Syllabus  अबिगत - गति कछु कहत न आवै का संदर्भ , प्रसंग सहित व्याख्या । A

बलिहारी गुर आपणैं का संदर्भ , प्रसंग सहित व्याख्या । Sakhi । Kabeer Ke Dohe Class 11 Up Board Solutions

प्रस्तुत पद्यांश "बलिहारी गुर आपणैं ‘" का संदर्भ , प्रसंग , व्याख्या , काव्य सौंदर्य तथा शब्दार्थ इस आर्टिकल में लिखा गया है। जो की कबीरदास जी की रचना है , ये छात्रों के लिए काफी मददगार होने वाला है। खास बात यह है कि अगर आप यूपी बोर्ड के 11वीं में हो तो हिंदी के "काव्य" पाठ 1 में "साखी" शीर्षक से है। आपको दूढ़ने में दिक्कत ना हो इसलिए हर एक "दोहे" का आर्टिकल अलग - लिखा गया है। (यह आर्टिकल आप Gupshup News वेबसाइट पर पढ़ रहे हो जिसे लिखा है, अवनीश कुमार मिश्रा ने, ये ही इस वेबसाइट के ऑनर हैं)                               दोहा बलिहारी गुर आपणैं, द्यौहाड़ी कै बार। जिनि मानिष तैं देवता, करत न लागी बार॥ सन्दर्भ - प्रस्तुत पद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के "काव्य खंड" में ‘साखी’ शीर्षक से उद्धृत है, जो साखी ग्रंथ से लिया गया है। जिसके रचयिता कबीरदास जी हैं। प्रसंग - कबीरदास ने प्रस्तुत दोहे में गुरु के प्रति अपनी भावना व्यक्त किया है और महिमा का वर्णन करते हुए उनपर न्यौछावर हो जाने की बात की है।  व्याख्या - प्रस्तुत दोहे में कबीरदास जी गु