अगर आप चेहरे के दानें कील , मुहांसे आदि से परेशान हैं तो आपके लिए ही ये पोस्ट है |दरअसल होता क्या है कि कभी - कभी हमारे चेहरे पर दानें निकल आते हैं तो हमें भद्दा लगने लगता है लड़कियाँ तो और भी परेशान हो जाती हैं | पर आजकल के लड़के भी इनसे परेशान रहते हैं | हो भी क्यों न क्योंकि चेहरा ही सब कुछ है | चेहरे पर दाने , कील , मुहांसे आदि खत्म करने के लिए वे ढ़ेर सारी विधियाँ अपनाने लगते हैं जैसे कि तरह - तरह के फेस वॉश , क्रीम आदि | कुछ तो तरह - तरह के मेडिकल क्रीम भी लगाने लगते हैं | फिर ठीक न होने पर निराश हो जाते हैं | पर उन्हें कौन समझाये कि ये सब अन्दर से होता है बाहर से कुछ भी नहीं होता है बस कभी - कभी धूल - मिट्टी एवं धूप की एलर्जी से हो जाता है | ज्यादातर दाने अन्दर से ही होते हैं |उपचार -जिनके चेहरे पर दाने , कील , मुहांसे आदि हों वे रोज पाँच से आठ लीटर पानी पियें | पानी पीने से इस प्रकार के प्राब्लम दूर हो जाते हैं | आप इस विधि को ट्राई करके देख सकते हो , इसमें कोई पैंसा नहीं लगता है | और न ही कोई साइड - इफेक्ट होता है |आपकी क्या राय है इस पोस्ट के बारे में कमेंट करके बतायें |अगर आपको यह आर्टिकल अच्छा लगा हो और आगे आप इसी तरह के आर्टिकल पढ़ना चाहते हैं | तो ऊपर दी गई लाल रंग की 'फॉलो' बटन को दबाकर फॉलो करें | अच्छा लगा हो तो लोगों में शेयर करें |
अवनीश कुमार मिश्रा
मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ की संदर्भ, प्रसंग सहित व्याख्या । Meri Bhaw Badha Harau Doha Bihari Lal
"मेरी भव-बाधा हरौ" की संदर्भ सहित व्याख्या इस आर्टिकल में की गई है। जो कि रससिद्ध कवि बिहारी की रचना है। और खास बात यह है कि यह पद्यांश यूपी बोर्ड के 10वीं के हिन्दी के काव्य में "भक्ति" शीर्षक से है। तो अगर आप 10वीं में हो तो आपके लिए ये काम की आर्टिकल है। आपके परीक्षा में आ सकता है। ये दोहा शीर्षक का पहला "दोहा" है। आपको ढूढ़ने में दिक्कत ना हो इसलिए हर एक "पद" के लिए अलग - आर्टिकल लिखा गया है। (यह आर्टिकल आप Gupshup News वेबसाइट पर पढ़ रहे हो जिसे लिखा अवनीश कुमार मिश्रा ने वे ही इस वेबसाइट के ऑनर हैं) दोहा - मेरी भव-बाधा हरौ, राधा नागरि सोइ । जा तन की झांईं परै, स्यामु हरित-दुति होइ॥ संदर्भ - प्रस्तुत दोहा हमारी पाठ्य पुस्तक हिंदी के "काव्य खंड" में "भक्ति " शीर्षक से उद्धृत है , जोकि रीतिकाल के रससिद्ध कवि बिहारी द्वारा रचित ‘बिहारी सतसई’ नामक ग्रंथ से लिया गया है। प्रसंग - प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने राधा जी की वंदना की है। प्रस्तुत दोहे के कईं भाव हैं तो सभी को लिखा जा रहा है, जिससे समझने में आसानी हो। व्याख्या - 1
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
अगर आप कुछ कहना चाहते हैं , इस लेख के बारे में तो प्लीज कमेंट करें |